रोसड़ा का सच: शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के इंतज़ार में भटकती जनता

- Reporter 12
- 24 Sep, 2025
मोहम्मद आलम
समस्तीपुर। रोसड़ा की पहचान आज भी विकास-विहीन कस्बे के रूप में होती है। बुनियादी सुविधाओं से महरूम यह इलाका पूरी तरह से राजनीति की भेंट चढ़ चुका है। शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसे अहम सवाल आज भी यहां के लोगों के जीवन में सबसे बड़ी कमी बने हुए हैं।रोसड़ा में न डिग्री कॉलेज की सुविधा है, न पीजी की पढ़ाई शुरू हो सकी है। मेडिकल कॉलेज और इंजीनियरिंग कॉलेज की बात करना तो महज़ सपना है। नतीजा यह कि यहां का युवा उच्च शिक्षा के लिए जिले से बाहर पलायन करने को मजबूर है। रोजगार और उद्योग-धंधों की स्थिति इतनी बदतर है कि रोज़गार की तलाश में बड़ी संख्या में युवा परदेश जा रहे हैं।स्थिति यह है कि यहां के जनप्रतिनिधि रूसेरा घाट स्टेशन पर एक साधारण ट्रेन ठहराव तक दिलाने में नाकाम रहे हैं। जब छोटे-छोटे काम पूरे नहीं हो पा रहे, तो मेडिकल कॉलेज, उद्योग या स्टेडियम जैसी योजनाओं की उम्मीद करना बेमानी लगता है।स्थानीय लोग कहते हैं कि रोसड़ा को आधुनिक पार्क, स्टेडियम, बायपास रोड और ROB जैसी बुनियादी परियोजनाओं की सख़्त ज़रूरत है। यह न सिर्फ़ शहर का कायाकल्प करेंगे, बल्कि स्थानीय युवाओं के लिए भी नए अवसर पैदा करेंगे। शिक्षा की स्थिति का आलम यह है कि कई विद्यालय जर्जर हालत में बंद पड़े हैं, और जहां खुले भी हैं वहां दो-तीन कमरों में 1 से 8 तक की पढ़ाई किसी तरह चल रही है।मगर अफसोस, नेताओं की राजनीति हमेशा जनता के मुद्दों से भटक जाती है। नतीजतन रोसड़ा आज भी विकास से कोसों दूर खड़ा है, और यहां का युवा अपने भविष्य के लिए भटकने को मजबूर।
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